मुंबई. अनिल अंबानी के खिलाफ चीन के तीन बैंकों ने लंदन की अदालत में मुकदमा दायर किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक द इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी), चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना का दावा है कि उन्होंने अनिल अंबानी की निजी गारंटी की शर्त पर उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को 2012 में 92.52 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया था। आरकॉम ने फरवरी 2017 में लोन चुकाने में डिफॉल्ट कर दिया। उस पर 68 करोड़ डॉलर (4847 करोड़ रुपए) बकाया हैं।
'आईसीबीसी अंबानी और कर्जधारक के बीच फर्क नहीं समझ पाया'
दूसरी ओर अनिल अंबानी के वकील रॉबर्ट हॉव ने कोर्ट में कहा कि अंबानी ने निजी गारंटी कभी नहीं दी, बल्कि बिना शर्त का पर्सनल कम्फर्ट लैटर देने की सहमति जताई थी। आईसीबीसी अंबानी और कर्जधारक कंपनी के बीच फर्क समझने में लगातार विफल रहा। बता दें कम्फर्ट लैटर के जरिए यह भरोसा दिया जाता है कि कंपनी वित्तीय या अनुबंध से जुड़ी जिम्मेदारियां पूरी करेगी, लेकिन इस लैटर में कानूनी बाध्यता नहीं होती।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन के बैंकों की ओर से कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक अनिल अंबानी 2011 में बीजिंग गए थे। उन्होंने आईसीबीसी के पूर्व चेयरमैन जिआंग जिआनक्विंग से कर्ज संबंधी बातचीत की थी। आईसीबीसी के वकील बंकिम थांकी का दावा है कि अनिल अंबानी की ओर से रिलायंस के कमर्शियल एवं ट्रेजरी हेड हसित शुक्ला ने निजी गारंटी पर दस्तखत किए थे। जबकि, दूसरे पक्ष के वकील हॉव का कहना है कि अंबानी ने अपनी ओर से शुक्ला को हस्ताक्षर का अधिकार नहीं दिया था। इस मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई में आईसीबीसी के वकीलों ने कोर्ट से जल्द फैसला देने या फिर अनिल अंबानी को ब्याज समेत बकाया रकम चुकाने का सशर्त आदेश जारी करने की अपील की।